बिलासपुर, 20 अप्रैल /राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके ने आज रात करगी रोड कोटा में डॉ सी.वी. रमन विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय रामन लोककला महोत्सव का शुभारंभ किया। मुख्य अतिथि की आसन्दी से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुश्री उइके ने कहा कि आदिवासी कला एवं संस्कृति से छत्तीसगढ़ की विशिष्ट पहचान है। लोक कला महोत्सव के आयोजन से छत्तीसगढ़ के विविध लोक कलाओं और संस्कृतियों को मंच मिलता है।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि डॉ सी वी रामन विश्वविद्यालय ऐसे आयोजनों के माध्यम से आदिवासी कला संस्कृति साहित्य परंपराओं को बड़ा मंच दे रहा है,और ऐसे आयोजन से ही वह विश्व पटल पर अपना स्थान पहचान बना सकेंगे। उन्होंने कहा कि मुझे यह बात कहने में गर्व है कि देश विदेश में आज आदिवासी संस्कृति को स्वीकार किया जाता है। हर अवसर पर, वैश्विक स्तर पर, एक अलग पहचान आदिवासी संस्कृति की है। उन्होंने यह भी कहा कि पूरी दुनिया में केवल छत्तीसगढ़ की संस्कृति ऐसी है जिसकी महक हर किसी को बहुत पसंद आती है। इसके साथ छत्तीसगढ़ का संगीत ऐसा मधुर और हृदय को छू लेने वाला है,जिससे हर व्यक्ति मंत्रमुग्ध हो जाता है। यहां के आदिवासी बहुत ही भोले भाले हैं, छल कपट से हमेशा दूर रहते हैं। ऐसे समाज के उत्थान के लिए, उन्हें मंच प्रदान करने के लिए, उन्हें वैश्विक स्तर तक स्थापित करने के लिए डॉक्टर सी वी रामन विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित लोक कला महोत्सव सराहनीय पहल हैं ।
सुश्री उइके ने छत्तीसगढ़ के विभिन्न भागों से आये लोक कलाकारों के नृत्य का भी आनंद लिया। तमनार से आए जनकराम और साथियों ने कर्मा नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में कोंडागांव के कलाकारों ने ककसाड़ नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में सुश्री उइके ने विज्ञान और नवाचार पर आधारित पुस्तक *विज्ञान कथा कोष* का भी विमोचन किया।सुश्री उइके ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बस्तर एवं सरगुजा संभाग में भी केंद्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय होना चाहिये ताकि छत्तीसगढ़ के भोले-भाले आदिवासी भी उच्च शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़कर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी योगदान दे सकें। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में खेल अकादमी खोलकर विभिन्न खेलों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
इस अवसर पर बिलासपुर सांसद श्री अरुण साव, लोरमी विधायक श्री धर्मजीत सिंह,सी.वी. रमन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे सहित अन्य अधिकारी एवं छात्र-छात्रायें मौजूद रहे।
