बिलासपुर/ग्राम पंचायत मोपका पटवारी हल्का नंबर 29 खसरा नंबर 1053/1 में से दो एकड़ भूमि शेख राजिक सचिव मुस्लिम वेल सोसायटी हज़रत बिलाल मस्जिद बिलासपुर को आवंटन पर रोक बाबत मोपका के लगभग तीन सौ लोगों ने हस्ताक्षर करते हुये आज एस डी एम कार्यलय पहुंचे रहे इन्होंने
समाचार पत्र में प्रकाशित इश्तहार दिनांक 09/09/2022 क्रमांक / क/ तह. / वा / 2 / 2020 संदर्भ देते हुये गांव की भूमि को आबंटित नही किये जाने का ज्ञापन दिये वही इन्होंने ज्ञापन के माध्यम से शासन को अवगत कराया है कि बिलासपुर ग्राम मोपका प. ह. न. 29 राजिम मोपका तह. व जिला बिलासपुर के खसरा क्रमांक 1053/1 में से 2 एकड़ भूमि शेख राजिक सचिव मुस्लिम वेल. सोसा. हजरत बिलाल मस्जिद, बिलासपुर द्वारा कब्रिस्तान हेतु कलेक्टर भू बंटन शाखा में आवेदन किया गया है। जिसकी जांच एवं प्रतिवेदन के लिए अनुविभागीय अधिकारी के पास आवेदन किया गया है। जिसकी जांच एवं प्रतिवेदन के लिए अनुविभागीय अधिकारी के माध्यम से आपके न्यायालय को हुआ है। जिसकी दावा आपत्ति हेतु आपके न्यायालय द्वारा इश्तहार प्रकाशित किया गया है।

माननीय न्यायालय से विनम्र अपील है कि नीचे लिखे बिन्दुओं के आधार को ध्यान में रखते हुए आवेदक संस्था को भूमि आबंटन पर रोक लगाने की कृपा करे।

क्षेत्र मे पूर्व से कब्रिस्तान का होना : ज्ञात हो कि नगर निगम बिलासपुर वार्ड क्रमांक- 47 जो मोपका चिल्हाटी को शामिल करके बनाया गया है। वहाँ पहले से कब्रिस्तान है। जिसके कारण किसी समिति विशेष को पृथक से कब्रिस्तान के लिए भूमि आवंटन करना उचित नही होगा।

2. खसरा क्रमांक 1053/ 1 मे पूर्व से अवैध कब्जा माननीय महोदय खसरा क्रमांक 1053/1 में बाहरी तत्वों एवं राजस्व विभाग के सह पर अवैध कब्जा कर खरीदी बिक्री किया गया है। जिसका समय- समय पर समाचार पत्रों एवं सोसल मीडिया पर प्रकाशन एवं प्रसारण किया जा रहा है। जब तक उक्त खसरा भूमि को चिन्हांकित एवं अवैध कब्जाधारियों को बेदखल नही किया जाता तब तक किसी संस्था या समिति को भूमि आवंटित नही किया जाए।

खसरा क्रमांक 1053/ 1 कुल एकड़ 13770 हेक्टेयर खसरा क्रमांक 1053/1 एकड़ 13770 हेक्टेयर भूमि जो छोटे-बड़े जंगल की भूमि से लगा जमीन है और मूल ग्रामवासी उक्त खसरा की भूमि को प्राकृतिक धरोहर के रूप में मानते है जिसका शासन द्वारा कई योजनाओं के लाभ प्राकृतिक रूप से भविष्य में मिलेगा।

4. आबंटित भूमि से अधिक पर कब्जा ज्ञात हो कि मोपका की शासकीय भूमि को कई समितियों, संस्थाओं एवं शहादत के नाम पर आवंटित किया गया है। लेकिन समितियों, संस्थाओं एवं शहीदों के परिवार को आबंटित रकबा से कई गुना अधिक पर राजस्व विभाग के मिलीभगत से कब्जा कर लिया गया है जिसकी न तो जांच की जाती है और न ही शासन स्तर पर कोई रोक लगाया जाता है।

5. शासकीय भूमि की 1994-95 से बंदरबांट: मोपका की शासकीय भूमि राजस्व विभाग के राजस्व रिकार्ड में मैनुअल खसरा अनुसार 412776 हेक्टेयर भूमि है। जबकि यदि किसी भी खसरा की भूमि का मौका पर जाँच किया जाए तो मुश्किल से 20% से 30% ही भूमि कब्जा मुक्त मिलेगा। जिसमे हल्का पटवारी एवं कोटवार की भूमिका है।

6. समिति को भूमि आवंटन शासन-प्रशासन किसी समिति को भूमि आबंटन करना चाहता

है। जबकि समिति के कार्यक्षेत्र, उद्देश्य और सदस्य संख्या सीमित रहता है। जिससे समाज को लाभ नही होता है। जिसका पंजीकृत होने के साथ-साथ सामाजिक हित पर कोई न कोई वृहत स्तर पर कार्य रहता है।

7. क्षेत्र का शहरीकरण सत्र 2000 से मोपका का शहरीकरण होना प्रारंभ है। शासन सहित छोटे बड़े बिल्डरो द्वारा समिति बनाकर या खुद बिल्डर बिल्डर बनकर भूमि को क्रय-विक्रय किया जा रहा है। क्रेता द्वारा स्कूल, रेल, हॉस्पिटल, रोड की जानकारी लिया जाता है। अपने धर्म और समुदाय के अनुसार अंतिम संस्कार हेतु स्थान पूर्व में तय कर लेना चाहिए।

8. राजस्व विभाग के द्वारा मोपका बदनाम हुआ:- हमारे मोपका को लोग बहुत अच्छे ग्राम के नाम से जानते और समझते थे लेकिन राजस्व विभाग की निरंकुशता एवं भू माफियों से मिली भगत कर जिस तरह से भूमि का बंदरबाट किया गया है उससे मोपका के मूल निवासी को निजी भूमि खरीदी-बिक्री में मे आना कानी करते हैं और अब तो राजस्व विभाग की मेहरबानी से भोंदूदास वाला मोपका कहकर अपमानित करते है।

सन् 1928-29 के अनुसार पूर्व मे शमशान भूमि उपलब्ध :- राजस्व अभिलेख सन् 1928 29 के अनुसार मोपका के मूल निवासियों के अनुसार राजस्व अभिलेख मे दो शमशान भूमि है और वहाँ दाह संस्कार किया जाता है। मूल निवासियों के अनुसार शासन द्वारा विधिवत् जाँच पड़ताल कराकर सन् 1928-29 मे दाह संस्कार के लिए भूमि आबंटन किया गया है। चूँकि शहरीकरण हो जाने के कारण सभी धर्मों का निवासी बताया जा रहा है। जबकि बिलासपुर नगर निगम में पहले से सभी धर्मो की क्रियाकलाप के लिए भूमि आबंटन कर सुविधा प्रदान किया गया है। तो हर व्यक्ति, समिति या संस्था बनाकर भूमि आबंटन करना चाहते है तो शासन-प्रशासन कितने समिति को आबंटित करते रहेगी।

10. करोड़ों की शासकीय भूमि सुरेखा खटोले के नाम :- खसरा क्रमांक 1053 की

12 एकड़ भूमि राजस्व अभिलेख में चराई एवं छोटे-बड़े जंगल के नाम पर दर्ज है। जिसे श्रीमती सुरेखा खटोले के नाम पर राजस्व अभिलेख में राजस्व विभाग ने मिलीभगत कर दर्ज किया गया है। जिसकी जानकारी जांच करने पर पता चला।यदि भविष्य में शासन प्रशासन द्वारा और जांच किया जाता है। उस स्थिति में मोपका की शासकीय भूमि पर कई मामलों का खुलासा होगा। वही इन्होंने
आवेदित संस्था को भूमि आवंटन नही किया जाने का अनुरोध किया है ।

You missed