बिलासपुर/जीपीएम-ग्रामीण जनता को मौलिक एवं मूलभूत अधिकारों के लिये ग्राम पंचायत अधिनियम का गठन किया गया है ,

लोगों को उनकी समस्याओं को प्रभावी तरीके से हल करने के लिए निर्देशित निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए, शक्ति को विकेंद्रीकृत करने की आवश्यकता थी। पंचायती राज की शुरुआत के पीछे यह एक मुख्य उद्देश्य था ।वही नियम यह भी लागू किया गया कि पद पर रहते पंचायत सरपंच और अन्य पदाधिकारी निजी लाभ स्वयं नही ले सकेंगे।इधर छत्तीसगढ़ गठन के बाद लोगों को त्वरित कार्यवाही और सुविधाओं के लिए कई जिले बनायें गये।इन्ही जिलों के तहत
गौरेला,पेन्ड्रा,मरवाही बनाया गया ।प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री ने जनता को उनके सभी अधिकार मिल सके इस सोच से ये जिले बना तो दिये पर जिले में पदस्थ अधिकारी और कर्मचारी पूरी तरह निरकुंश बन गए और तो और पंचायतो में सरपंच सचिव अपनी मनमानी करने लगे हैं ।हालांकि अनिमितता के शिकायत मिलने औऱ जाँच में सही मिलने पर कई सरपंचों को जेल की हवा भी खानी पड़ी है ।इसके बावजूद कुछ पंचायतों में आज भी भारी भ्रष्टाचार बना हुआ है कुछ बाहुबली बने सरपंच पद का दुरुपयोग कर रहे हैं पिछले दिनों पेन्ड्रा जिले के अंतर्गत ग्राम बेलपत के सरपंच श्रीमती सुमित्रा पैकरा के खिलाफ पद पर रहते स्वयं के नाम शासकीय भूमि का वन अधिकार पट्टा बना लिया गया जिसकी भनक पंचायत के किसी को नही होने दिया गया। लेकिन इस घोर भ्रष्टाचार की जानकारी जैसे ही लोगों को मिली तो ग्रामीणों ने इसकी शिकायत सरपंच के विरुद्ध आवश्यक सभी दस्तावेजों के साथ 9 जनवरी 2023 को जिला कलेक्टर गौरेला/पेन्ड्रा/मरवाही एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी गौरेला,पेन्ड्रा,मरवाही सहित अनुविभागीय अधिकारी राजश्व पेन्ड्रा रोड को हीरा सिंह पैकरा पिता त्रिभुवन सिंह बेलपत के द्वारा लिखित में किया गया है इस पर कार्यालय जिला पंचायत (DRDA)जिला गौरेला,पेन्ड्रा,मरवाही के परियोजना निदेशक जिला पंचायत (DRDA) जिला गौरेला पेन्ड्रा मरवाही ने अनुविभागीय अधिकारी (रा)अनुविभाग पेंड्रारोड जिला गौरेला,पेन्ड्रा,मरवाही ने पत्र क्र/8790/पंचा0/DRDA/2022-23 दिनांक09/02/2023 को प्राप्त शिकायत पत्र मूलतः भेज कर उचित कार्यवाही करने के साथ ही कार्यालय को अवगत कराने निर्देशित किया गया ।किंतु  देखने वाली बात यह रही कि 9जनवरी 2023 को दिये शिकायत पर 1माह बाद 9फ़रवरी को विभागीय जांच के लिये पत्र भेजा गया वही आज दो माह से अधिक समय होने के बावजूद अभी तक सरपंच के खिलाफ कोई भी कायवाही नही किया गया है ऐसे में परियोजना निदेशक के भेजे गए  पत्र जिस पर कार्यवाही अवगत सुनिश्चित करने की बात कही गई है इसका क्या कुछ हो पाया है वह कुछ कहा नही जा सकता है ।ऐसे तैसे 4माह बीतने को हैं और सभी साक्ष्य दस्तावेजों के होने के बावजूद किसी तरह की कार्यवाही का नही होना काफी चीजो को संदेह के दायरे में ला दिया है । दूसरी ओर बताया जा रहा है कि जिस भूमि का वन अधिकार बना लिया गया है वही भूमि लगानी भी बताई जा रही है इस तरह से एक ही भूमि का 2 खसरा बताया जा रहा है ।

वही अब तक सरपंच के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होने से सरपंच के द्वारा बुजुर्ग आवेदक को धमकाया जा रहा है  और सरपंच प्रतिनिधि के दबंगई के चलते लोग खुलकर कुछ नहीं कह पा रहे हैं लेकिन दबी जुबान सरपंच के कारनामों की बेहिसाब भ्रष्टाचार  सामने आने लगी हैं इसमे आर्थिक एवं अन्य भ्रष्टाचार जाँच करने पर परत दर परत सामने आ जायेगा ।
इधर किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं होने से एक तरफ सरपंच के हौसले बुलंद हो रहे है तो वही दूसरी तरफ शिकायत कर्ता का प्रशासन से विश्वास डगमगाने लगा है ऐसे में आवेदक ने पूरे मामलों को संज्ञान में लाने मुख्यमंत्री ,पंचायत मंत्री सहित उच्चाधिकारियों से शिकायत करने का मन बना लिया गया है ।
     अब देखना होगा कि  ‘नौ दिन चले आढ़ाई कोस’वाली अधिकारी कार्यवाही में सरपंच को कब तक राहत दिया जाता है।

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