हत्या ,अपराध, किडनेपिंग, नशे का कारोबार,सट्टा,भूमाफिया के आतंक, छेड़छाड़, एवं शहर के रुके विकास एवं आमजनों के समस्या

बिलासपुर- पूरा शहर अपनी भाग्य का रोना रो रहा है शांत शहर में अपराध, किडनेपिंग, नसे का खुलेआम कारोबार,सट्टा,भूमाफियो का आतंक, छेड़छाड़, एवं शहर के रुके विकास एवं प्रसाशनिक स्तर की घोर लापरवाही की वजह से समस्या बड़ी विकट बनी हुई है वही बेतरतीब सडक ,नाली,चौक चौराहो ,की खुदाई से लोगों की जान पर बन आई है बरसात में कई इलाकों में जलभराव की समस्या से उन क्षेत्र के लोगों का जीना दूभर हैं ।दूसरी ओर शांत शहर में आये दिन हत्या,और भी बड़े बड़े वारदात आम हो गये है।

शहर में टुटपुँजिया टाईप के छुटभैये नेताओं का बोलबाला है बिलासपुर की जीवनदायिनी अरपा का रेत माफियाओं के कारण अस्तित्व खतरे में है ।शहर के लोगों को अपनी घर ,मकान ,जमीन के कारण अपनी जान का खतरा भूमाफियाओं के वजह से है वही जिस विश्वास के साथ बिलासपुर की जनता ने अपना बहुमूल्य मत देकर अपना प्रतिनिधि / विधायक चुना था अब ठगे हुए महसूस करने लगे हैं इधर विधानसभा चुनाव को अब पूरे पांच साल होने जा रहा है।

इस पर कुछ हमारे जनप्रतिनिधि बीते इन सालों में जनता का समर्थन के लिए कभी छुरा धार ,कभी थानों में नौटंकी और कभी उल जुलूल हरकत बीते साढ़े चार साल में शहर विधायक ने जन हित और शहर के विकास में कुछ भी नहीं किया, अब इसकी वजह आपसी गुटबाजी हो या अन्य वजह ,ठगे तो शहर वासी है ।प्रदेश में कांग्रेस की सरकार और सत्ता दल के विधायक होने के बावजूद प्रशासन के विरुद्ध रहना शहर विधायक की घोर कमजोरी और लापरवाही को उजागर करता है ।वही शहर के आसपास के पंचयतो को निगम में शामिल कर दिया गया है लेकिन इन नये वार्ड बनने के बाद यहां के लोगों को अपने मूलभूत सुविधाओं के लिये तक वंचित होना पड़ रहा है दूसरी ओर इन नए निगम जो कभी पंचायत रहे उनमे छुटभैये नेताओं के द्वारा अवैध रेत बिक्री किया जा रहा है अरपा में दिनरात अवैध घाटों से निरन्तर रेत निकाला जा रहा है इधर नदी में इन्ही वजहों से अत्यधिक गट्ठे होने से लोगों की जान तक जा रही हैं पर ,दूसरी ओर हमारे शहर के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को कोई चिंता शहर के लोगों को लेकर जरा भी नही है ,स्थिति तो यहां तक है कि अभी भी कई चौक चौराहो एव कई मोहल्लों में कार्य आरंभ है इधर
सत्ता दल नेताओं के आपसी गुटबाजी और राजनीतिक नीचा दिखने दिखाने के चक्कर में पूरे पांच साल में शहर और लोगों के मूलभूत सुवि2धाओं को लेकर कुछ भी नया नही किया जा सका है ,शहर के गली मोहल्लों के नाली ,सड़क भले ही साफ सफाई हुई न हो लेकिन शहर में मुख्य चौक चौराहो में सड़क के दीवारों पर लाखों रुपये फूंक कर कलाकारी जरूर करा दी गई,बिलासपुर को 200 करोड़ केंद्र से मिलने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता और सत्ता संरक्षण में दबी हुई ब्यूरोक्रेसी से प्रदेश के दूसरे बड़े शहर न्यायधानी बिलासपुर में कानून व्यवस्था कटघरे में है। अपराधियों पर नकेल लगाने पुलिस की मुहिम धरातल पर नही है। बिलासपुर में रोजाना हो रही हत्याएं और लूटखसोट जालसाजी,सट्टाबाजी से नागरिक जीवन भयाक्रांत हो गया है। शहरी क्षेत्र में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं से भी जीवन संकट में बने रहता है, करोड़ों रुपए के इंट्रीगेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के बावजूद हर दूसरे दिन बीच शहर में सड़क दुर्घटना में मौत की दिल दहला देने वाली तस्वीरे खबरों में रहती है, इसके लिए शासन और प्रशासन सीधे तौर पर जिम्मेदार है, सत्ता दल की आड़ संरक्षण में नाना प्रकार की माफिया हावी है। देर रात बीच शहर की सुनी सड़को में रंगरेलियां मनाने वाले और अपसंस्कृति फैलाने वालों पर पुलिस का कोई कंट्रोल नहीं है।रिवर साइड, लिंक रोड, पुराना बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन इलाके, रिंग रोड,हाईवेज़ में देर रात मस्ती खोरो, नशाखोरी करने वाले बैखोफ घूमते अपराधिक घटनाओ को अंजाम दे रहे है।शहर की जनता यह जानना चाहती है आखिर बिलासपुर को बढ़ते अपराधो से निजात कब मिलेगी? मजदूर आम शहरी, युवा ,व्यापारी, उद्यमी, कर्मचारी अधिकारी कोई ऐसा नहीं है जो इस सरकार की नीतियों से खुश हो। प्रदेश सरकार ने पूरे पांच साल फ्लॉप सुराजी मॉडल की पोस्टर बाजी में बिता दिया, छत्तीसगढ़ की जनता ने सरकार की वादाखिलाफी को अच्छी तरह से समझ लिया है, अब बदलाव का मन जनता बना चुकी है।
