PDS के राशन की अवैध खरीदी-बिक्री पर अधिकारियों की मौन सहमति …शहर के शनिचरी  में ट्रकों से ट्रेडिंग व्यापारी के यहां लाखों का चावल जमा -जाने पूरी सच्चाई

PDS के राशन की अवैध खरीदी-बिक्री अब जोरो पर होने लगी है  अगर खाद्य विभाग कार्रवाई के तहत  व्यापारियों के यहां छापा मारे तो, लाखों का चावल जब्त हो सकता है
बिलासपुर। सार्वजनिक वितरण प्रणाली याने PDS के तहत गरीबों को मिलने वाले राशन की अवैध तरीके से की जाने वाली खरीद-बिक्री धड़ल्ले से किया जा रहा है शासकीय उचित मूल्य की दुकान (सोसाइटी) से लाखों के अनाज सीधे शहर के ट्रेडिंग व्यापारियों के यहां रोजाना खपाया जा रहा है पूरे इस ट्रेडिंग के खेल में सोसायटी संचालक ,ट्रेडिंग व्यापारी और क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी की पूरी मिलीभगत से यह व्यवसाय खूब फलफूल रहा है ,इस पूरी गफलत बाजी की कहानी शासकीय उचित मूल्य की दुकान (सोसाइटी )से चालू होता है सोसायटी संचालक राशन कार्ड धारकों से अनाज के बदले नगद राशि दे देता है इसके बाद चावल के स्टॉक को शहर के ट्रेडिंग व्यापारियों के यहाँ बेच दिया जाता हैं इसके बाद ट्रेडिंग व्यापारी का खेल शुरू होता हैं व्यापारी के द्वारा इस
चावल को मशीनों के द्वारा या तो बारीक करके महंगे दामों में मार्केट में बेचा जा रहा है या फिर बड़े खेल के तहत  पीडीएस के चावल की रीसाइक्लिंग किया जा रहा है। इसका भरपूर फायदा व्यापारी उठा रहे है। व्यापारिक जानकारी के अनुसार मिलर्स को बिना मिलिंग के यही चावल पीडीएस से लेकर लेवी के रूप में ही जमा कर दिया जा रहा है। इसका फायदा यह हो रहा है कि मिलर्स को कस्टम मिलिंग का पैसा, जो शासन से निर्धारित है, वह अलग मिल रहा है  वह भी बिना मिलिंग किए ही मिलर को चावल भी मिल जा रहा। यानी पीडीएस के चावल को ही दोबारा लेवी के रूप में जमा किया जा रहा । इस रीसाइक्लिंग और  बारिकी करण में व्यापारी मोटी कमाई कमा रहे हैं ,
अभी हाल ही में इस खेल का नमूना
राजस्व और खाद्य अफसरों की संयुक्त टीम ने विवेक राईस ट्रेडिंग, संजय तरण पुष्कर के सामने नेहरू नगर में छापा मार कार्यवाही करके दिखाई थी जिसमे पीडीएस योजना के तहत बीपीएल श्रेणी में प्रदाय योग्य फोर्टीफ़ाइड मोटा चावल मिला  था ,
शहर के शनिचरी बाजार स्थित मेन रोड में ट्रेडिंग व्यापारी के यहाँ प्रतिदिन कई क्विंटल अनाज इनके गोदामों में ट्रकों से जमा होता हैं इसके अलावा सरकंडा,चिंगराज, तिफरा समेत कई ट्रेडिंग व्यापारी इसे बड़े मुनाफे के कालगुजारी में लगे हुए हैं जिसकी जानकारी संबंधित विभाग को भी बताया जा रहा है ।
अब देखने वाली बात यह है कि वर्षों से चल रहे इस तिगड़ी खेल की जानकारी वास्तव मे क्या विभाग को नही है या फिर मुक दर्शक बनकर विभाग एडा बन पेड़ा खा रहा है अगर ऐसा नही है तो इसके बाद विभाग की कार्यवाही सामने आनी चाहिए ।

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