मंगला वार्ड 13 में पोला उत्सव धूमधाम से मनाया गया. किसानों ने सजाकर पारंपरिक श्रृंगार किया. पिछले 25 वर्षों से हो रही बैल सजावट प्रतियोगिता में किसानों को सम्मानित किया गया. यह परंपरा विदर्भ की कृषि संस्कृति की पहचान है.
बिलासपुर / कृषि परंपराओं में महत्वपूर्ण बैल पोला उत्सव इस बार भी मंगला वार्ड 13 में पार्षद रमेश पटेल के द्वारा आयोजित किया गया ,यहां बड़े उत्साह और पारंपरिक रंग-रूप के साथ पोला महोत्सव मनाया गया. यह दिन किसानों के सच्चे साथी बैल के लिए आराम और सम्मान का माना दिन माना जाता है.

किसान इस अवसर पर अपने बैलों को नहला-धुलाकर हल्दी और घी से उनकी मालिश करते हैं, ताकि सालभर हल खींचने वाले बैलों की गर्दन मजबूत और स्वस्थ बनी रहे.मंगला में 25 वर्षों से यहां बैल सजावट प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. इसमें बैलों की सुंदरता, रखरखाव और श्रृंगार को देखकर किसानों को पुरस्कृत किया जाता है.

इस वर्ष 15किसानों ने अपने बैलो को सजाकर महोत्सव में भाग लिया , कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बिलासपुर की महापौर श्रीमती पूजा विधानी ,विशिष्ट अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश सूर्यवंशी ,अध्यक्षता दारा सिंह,पार्षद रमेश पटेल मंगला समेत हेमंत मरकाम पार्षद वार्ड 14 ,सलामुद्दीन खान भाजपा नेता के हाथों किसानों को पुरस्कृत किया गया, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीमती पूजा विधानी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के किसानों के पारंपरिक त्यौहार पोला महोत्सव आज मनाया जा रहा है

यहाँ उपस्थित सभी किसानों और मंगला के लोगों की मैं अभिनंदन और पोला पर्व की शुभकामनाएं देती हूं ,साथ ही मैं मंगला में मानस मंच के निर्माण की घोषणा करती हूं ,वही जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश सूर्यवंशी ने कहा पोला महोत्सव पर मंगला के सभी बड़े ,बुजुर्ग ,बच्चों और माता बहनों का सादर अभिनंदन करता हूँ मंगला में आज भी छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा को जीवित रखा गया है

मैं ख़ास तौर पर आयोजको को इस महोत्सव के लिए धन्यवाद देता हूँ ,कार्यक्रम में किसानों के पुरस्कार वितरण के दौरान मंगला के लोकप्रिय पार्षद रमेश पटेल ने कहा कि इस सफल पोला महोत्सव में मंगला के सभी वार्डवासियों का योगदान है वही उन्होंने कहा कि बैला ह किसान के अभिन्न अंग हैं एकर सेतीन आज के दिन उनकर सम्मान के दिन रहते ,छत्तीसगढ़ म पोला पर्व किसानों के आस्था, परंपरा और ग्रामीण संस्कृति के जीवंत प्रतीक हे। यह पर्व हमर साथी बैलों के सम्मान, कृषि कार्य की महत्ता, सामाजिक एकता और नई पीढ़ी को परंपरा से जोड़ने की एक अद्भुत कड़ी हे ।

उन्होंने बताया कि आज पोला पर्व पर हमारे किसान भाई अपने बैलों को सजा धजा कर लाये हैं उन सभी का सम्मान और पुरस्कार दिया जाता हैं जिससे उनका उत्साह बढ़ता है पोला महोत्सव में मंगला क्षेत्र के सभी नागरिक यहाँ आकर आंनद लेते है ,उन्होंने बताया कि आज 15 किसानों को पृष्कृत किया गया है इसमें किसान रामफल धुरी प्रथम स्थान ,अंकुर यादव द्वितीय स्थान, एवं अशोक सूर्यवंशी तृतीय श्याम यादव को निर्णायक मंडल के द्वारा शील्ड और पुरस्कार दिया गया साथ ही महोत्सव में भाग लेने वाले सभी किसानों को भी प्रोत्साहन पुरस्कार दिया गया ।

देखा जाता हैं कि प्राकृतिक खेती में है बैल के गोबर की अहमियत
तकनीकी और आधुनिक खेती के दौर में बैलों का इस्तेमाल भले ही कम हुआ हो, लेकिन पारंपरिक खेती में उनकी अहमियत आज भी बनी हुई है. बैलों का गोबर प्राकृतिक खेती में सबसे अच्छी खाद माना जाता है. यही कारण है कि परंपराओं से जुड़े किसान अब भी बैलों का महत्व समझते हैं

और उनकी देखभाल में जुटे रहते हैं.सालभर खेती में मेहनत करने वाले बैलों को इस दिन आराम दिया जाता है. वहीं, साज-सज्जा कर उनकी शोभायात्रा निकाली जाती हैं और पूजा की जाती है. परंपरा के मुताबिक कि इस दिन बैलों से खेती का कोई काम नहीं लिया जाता. यह उत्सव बैलों के प्रति आभार व्यक्त करने और कृषि संस्कृति को जीवित रखने का प्रतीक है, जिसे किसान पूरे हर्षोल्लास के साथ निभाते
