100 रुपये रिश्वत के मामले में बिल सहायक को  एक साल की सजा और एक हजार रुपये जुर्माने पर ..39 साल बाद मिला इंसाफ:
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 100 रुपये रिश्वत के एक पुराने मामले में बिल सहायक रामेश्वर प्रसाद अवधिया को बड़ी राहत देते हुए उसे सभी आरोपों से बरी कर दिया है। हाईकोर्ट ने रायपुर की निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप सिद्ध करने में विफल रहा।
    मामला वर्ष 1981 से 1985 के बीच का है। शिकायतकर्ता अशोक कुमार वर्मा ने अपने सेवाकालीन बकाया बिल के भुगतान के लिए वित्त विभाग के बिल सहायक रामेश्वर प्रसाद अवधिया से संपर्क किया था। आरोप था कि अवधिया ने बिल पास करने के एवज में 100 रुपये रिश्वत मांगी। शिकायत लोकायुक्त कार्यालय में दर्ज की गई, जिसके बाद ट्रैप कार्रवाई की गई। शिकायतकर्ता को 50-50 रुपये के रसायनयुक्त नोट दिए गए और अवधिया को कथित तौर पर रंगे हाथों पकड़ा गया।
CG NEWS : इस मामले में रायपुर की निचली अदालत ने 9 दिसंबर 2004 को अवधिया को एक साल की सजा और एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। लेकिन अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस बिभू दत्त गुरु ने पाया कि उपलब्ध साक्ष्य रिश्वत लेने के आरोप को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
CG NEWS : कोर्ट ने कहा कि अभियोजन यह सिद्ध नहीं कर पाया कि आरोपी ने वास्तव में रिश्वत मांगी और स्वीकार की थी। न तो मौखिक, न दस्तावेजी और न ही परिस्थितिजन्य साक्ष्य इसके समर्थन में पर्याप्त थे। इसलिए निचली अदालत द्वारा दिया गया दोषसिद्धि आदेश टिकाऊ नहीं है। हाईकोर्ट ने इन आधारों पर निचली अदालत का फैसला रद्द करते हुए आरोपी को बरी कर दिया, जिससे रामेश्वर प्रसाद अवधिया को 39 साल बाद न्याय मिला।