आदिवासी अंचल में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया कार्तिक पूर्णिमा पर्व…..माँ नर्मदा आश्रम बरर में पूज्य श्री श्री 108 श्री स्वामी शिवानंद जी की परम सानिध्य में कार्तिक पूर्णिमा का एक दिवसीय सत्संग दर्शन मेला का हुआ आयोजन

बिलासपुर/आदिवासी अंचल में बड़े ही धूमधाम से  कार्तिक पूर्णिमा पर्व मनाया गया। माँ नर्मदा आश्रम बरर में पूज्य श्री श्री 108 श्री स्वामी शिवानंद जी की परम सानिध्य में कार्तिक पूर्णिमा का  एक दिवसीय सत्संग दर्शन मेला का आयोजन  बड़े भव्य रूप से किया गय।

पूज्य स्वामी जी के द्वारा आदिवासी अंचल में सनातन धर्म से जुड़े रहने के लिए  धार्मिक अनुष्टान का अनेक  कार्यक्रम किया जा रहा है। श्री सिद्ध बाबा अद्वैत परमहंस आश्रम बेलगहना से सम्बन्धित माँ नर्मदा आश्रम बरर में सत्संग एवं माँ नर्मदा दर्शन मेला का आयोजन किया गया ।


पूज्य स्वामी जी के द्वारा माँ नर्मदा जी को श्रीफल भेंट कर दीपदान किया गया,। श्री स्वामी जी ने माँ नर्मदा जी से सभी लोगों के लिए मंगलमय की कामना की। इस आश्रम की महिमा की बात की जाये तो इस बरर आश्रम में माँ नर्मदा मईया का उदगम प्राचीन समय से है।

यहा पहले घना जंगल हुआ करता था पूज्य स्वामी जी के द्वारा यहां दीप दान किया गया।स्वामी जी ने अपने उद्धबोधन में कहा की महान से भी महान है

सदगुरु,सद्गुरु की महिमा गुरु की उपमा संसार में अतुलनीय है। माता पिता का साथ तो केवल एक ही जन्म का होता है। और वे हमें जन्म मरन से मुक्त नहीं कर सकते, लेकिन गुरु तत्व तो जब तक शिष्य मुक्त नहीं होता तब तक पीछा नहीं छोड़ता।अतः गुरु माँ बाप से भी बड़े हैं।इसी प्रकार कुलदेवता की पूजनीयता तो केवल कुलधर्मों के कर्मों में ही होती है। लेकिन गुरु सभी कर्मों में अकर्ता होने के कारण सदा सर्वदा और सभी दृष्टियों से पूजनीय हैं। गुरु को देवतातुल्य भी कैसे कहा जाय क्योंकि देवता का देवत्त्व भी उन्हीं के कारण आता है।

गुरु और ब्रम्हा को यदि समान कहा जाय तो वह उपमा भी कुछ कम ही होगी क्योंकि ब्रम्हा को ब्रह्मत्त्व गुरु से ही मिलता है। पूजा संपन्न होने के पश्चात संगीत का कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।जिसमे बड़े दूर दूर से संगीत प्रेमी अपनी कला की प्रस्तुति दिये।  कार्यक्रम के पश्चात भंडारे का आयोजन किया गया ।इस कार्यक्रम मे हजारों की संख्या मे श्रद्धालु भक्त  उपस्थित हो कर पूज्य स्वामी जी से आशीर्वाद प्राप्त किये।जिसमें प्रबंध समिति, सेवा समिति,एवं दूर अंचल से श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे । जिसमें  प्रमुख रूप से बिलासपुर,कोरबा,मुंगेली,लोरमी,कोटा, बरपाली,कोंचरा,बेलगहना,मझवानी, दारसागर ,कंचनपुर,पुडू,समेत अंचल के कई के गाँवो के श्रद्धालु आये रहे।