बिलासपुर/पेण्ड्रा मरवाही – छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल मुख्यमंत्री ने आदिवासियो के लिये कई तरह के योजनाओं का क्रियान्वयन किया है इसी में आदिवासियों के लिए वन अधिकार पट्टा अधिकार भी एक है, जिसे पंचायत सचिव/सरपंच के द्वारा प्रस्ताव पारित करके देना है इसी में कुछ पंचायतों में इसको लेकर खुलकर भ्रस्टाचार किया जा रहा है इसी भ्रस्टाचार से पीड़ित ग्राम बेलपत पो. जोगीसार तहसील पेण्ड्रारोड जिला-गौरेला-पेण्ड्रा मरवाही के 80 वर्षीय बुजुर्ग हीरासिंह पिता त्रिभुवन सिंह जाति कंवर ने कलेक्टर से शिकायत करते हुए बताया है कि मेरे द्वारा मेरी लगानी कृषि भूमि खसरा नं. 266/3 रकबा 1.0030 है: भूमि से लगी हुई शासकीय भूमि 264/1/क/1 रकबा 14.235 है. पर 0.450 है. भूमि पर काबिज काश्त हूँ और उस भूमि पर फसलों की खेती कर रहा हूं। इसमे मेरे द्वारा उपरोक्त भूमि का वन अधिकार पट्टा हेतु निवेदन किया गया हैं, जिसमें अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पेण्ड्रारोड के आदेशानुसार हल्का पटवारी द्वारा स्थल जांच उपरांत पंचनामा ग्रामीणों एवं वन अधिकार समिति के समक्ष 31.10.22 को मुझे उक्त भूमि 264/1/क/ 1 रकबा 0.450 का विधिवत कब्जा प्रमाण पत्र दिया गया है।

                                          वही
बन अधिकार पट्टा हेतु मुझे पंचायत प्रस्ताव की आवश्यकता है इस पर मैंने पंचायत में आवेदन दिया है किंतु सचिव और सरपंच के द्वारा प्रस्ताव नही दिया जा रहा है जिसका प्रमुख वजह यह है कि शासकीय भूमि से लगी हुई एक और शासकीय भूमि है, जिसे लिखन सिंह पैकरा द्वारा अपनी पत्नी के नाम से शासकीय पट्टा प्राप्त कर लिया है चूँकि वर्तमान में उनकी पत्नी सुमित्रा सिंह पैकरा सरपंच है.और अपने इस पद का दुरूपयोग करते हुए मनमानी करते मुझे पंचायत प्रस्ताव देने से इंकार किया जा रहा है,

वही 80 वर्षीय बुजुर्ग के पास जरूरी सभी दस्तावेजों होने के बावजूद सचिव/सरपंच का प्रस्ताव जारी नहीं करना मुख्यमंत्री सहित उच्चाधिकारियों के आदेशों का खुला उल्लंघन है जिससे बुजुर्ग व्यक्ति को भटकने के लिये मजबूर किया जाने में भ्रष्टाचार की बू आ रही हैं  हालांकि इसी पंचायत में कुछ ग्रामीणों को वन अधिकार पट्टा दिया भी गया है इस तरह बुजुर्ग व्यक्ति को पंचायत के द्वारा प्रस्ताव नही मिलने पर अपनी समस्या के लिए कलेक्टर के शरण मे जाना पड़ा हैं।अब बुजुर्ग हीरासिंह ने जिला कलेक्टर को आवेदन देकर निवेदन किया है  कि मुझे पंचायत से प्रस्ताव दिलाकर वन अधिकार पट्टा प्रदाय कराया जाये ।

वही अब देखना है कि इस तरह से ऐसे  संवेदनशील मामले में जिला कलेक्टर द्वारा सचिव के विरुद्ध किस तरह की कार्यवाही किया जाता हैं और बुजुर्ग की समस्या का निवारण कब तक किया जाता है।

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