डॉ. सीवीआरयू में तृतीय लिंग समुदाय का अस्तित्व संघर्ष एवं अधिकार विषय पर राष्ट्रीय सेमीनार….उभय लिंग को मुख्य धारा से जोड़ने की जिम्मेदारी समाज कीः कुलपति

डॉ. सीवी रमन विश्वविद्यालय में भारतीय समाज में तृतीय लिंग समुदाय का अस्तित्व संघर्ष एवं अधिकार विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में विनय कुमार पाठक पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग मुख्य अतिथि तथा छत्तीसगढ़ ट्रांसजेंडर के अध्यक्ष विजय अरोरा ने भारतीय समाज में तृतीय लिंग समुदाय के अस्तित्व संघर्ष एवं अधिकारों के बारे में खुलकर चर्चा की।
इस अवसर पर उपस्थित छत्तीसगढ़ स ट्रांसजेंडर के अध्यक्ष विजय अरोरा ने कहा कि आज तृतीय वर्ग समुदाय को सबसे ज्यादा संघर्ष अपने अपनों से करना पड़ता है, माता-पिता, परिवार समाज के लोगों को अधिक से अधिक संवेदनशील होकर पा उनकी भावनाओं को समझने की जरूरत वि है। उन्होंने कहा कि यह वर्ग बहुत ही म
मानसिक संघर्ष करता है। ऐसे में आज सरकार, व्यक्ति और समाज का हर वर्ग उनके उत्थान के लिए सामूहिक प्रयास करें, तब ही वे मुख्य धारा से जुड़कर अपने जीवन को सार्थक कर सकेंगे। विजय अरोरा ने अपने जीवन के संघर्षों को सभी से साझा साझा किया, और समाज से होने वाली परेशानियों को भी बताया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर विनय कुमार पाठक पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग विनय कुमार पाठक ने बताया कि प्राचीन काल में किन्नर को सम्मान दिया जाता था, लेकिन मुगल काल में इन्हें विकृत स्थान दिया गया और बेगम की सुरक्षा सहित अन्य कार्य इन से कराए जाते थे। इस अवसर पर उपस्थित विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि गर्भ संहिता में उल्लेख है, कि स्त्री और पुरुष की बीज शक्तियां जब बराबर होती हैं, तब किन्नर का जन्म होता है, और यह कहा जा सकता है कि वास्तव में एक किन्नर में स्त्री और पुरुष दोनों के सवर्गुण विद्यमान होते हैं। डॉ सीवी रमन विश्वविद्यालय सदैव इस दिशा में काम करेगा। हम उनकी शिक्षा में सदैव तत्पर रहेंगे। इस अवसर पर स्वागत भाषण सामाजिक विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. काजल मोइत्रा ने दिया ।
