बिलासपुर के दिग्गज नेता विजय केशरवानी का नाम मतदाता सूची से “गायब”…भिलाई में दर्ज-पुनरीक्षण अभियान पर उठे गंभीर सवाल
बिलासपुर। बिलासपुर के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व जिला अध्यक्ष विजय केशरवानी का नाम मतदाता सूची से अचानक गायब हो जाना और उसे भिलाई में मैप कर दिया जाना सिर्फ तकनीकी त्रुटि नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का खुला नमूना बनकर सामने आया है। 2003 से बिलासपुर के वोटर रहे केशरवानी को भिलाई का मतदाता घोषित कर दिया गया—ऐसे समय में जब राजनीतिक माहौल संवेदनशील है और चुनावी विश्वसनीयता पर सवाल पहले से ही मंडरा रहे हैं।
बिलासपुर।
शहर की राजनीति में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। कांग्रेस के कद्दावर नेता, पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष और 2023 विधानसभा चुनाव में बेलतरा सीट से पार्टी प्रत्याशी रहे विजय केशरवानी का नाम मतदाता सूची में गलत तरीके से भिलाई में जोड़ दिया गया है। परिणामस्वरूप उनका नाम बिलासपुर जिले की वर्तमान मतदाता सूची में शामिल ही नहीं हो पाया है।
विजय केशरवानी पिछले दो दशकों से बिलासपुर की राजनीतिक, सामाजिक और संगठनात्मक गतिविधियों का प्रमुख चेहरा रहे हैं। साल 2003 की वोटर लिस्ट में भी उनका नाम बिलासपुर में दर्ज था और तब से वे लगातार इसी क्षेत्र में निवासरत हैं। बावजूद इसके उनका नाम भिलाई में जाकर चढ़ा दिया गया—जिसे स्थानीय लोग प्रशासनिक मशीनरी की “गंभीर चूक” कह रहे हैं।
विजय केशरवानी का राजनीतिक सफर भी छोटा नहीं है। वे पूर्व में पार्षद, मेयर इन काउंसिल के सदस्य, और अविभाजित बिलासपुर जिले में युवा कांग्रेस तथा एनएसयूआई के अध्यक्ष रह चुके हैं। ऐसे प्रभावशाली नेता को अपने ही जिले की वोटर लिस्ट से बाहर देखना कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए किसी सदमे से कम नहीं।
स्थानीय राजनीति में हलचल — कांग्रेस कार्यकर्ताओं का सवाल: “यह गलती है या सेटिंग?”
जैसे ही यह जानकारी सामने आई, क्षेत्रीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं और स्थानीय निवासियों में नाराजगी साफ दिखने लगी। कई नेताओं का कहना है कि यह सिर्फ डाटा एंट्री की गलती नहीं हो सकती, बल्कि गंभीर लापरवाही या चुनावी प्रक्रियाओं में ढिलाई का नतीजा है।
लोग खुलकर सवाल उठा रहे हैं—
“दो दशक से बिलासपुर में रहने वाले नेता का नाम भिलाई में कैसे पहुंच गया?”
“क्या मतदाता सूची का सत्यापन इतना कमजोर हो चुका है?”
“आम नागरिक की सूची में भी यही त्रुटियां होंगी तो चुनाव कितने पारदर्शी?”
कांग्रेस कार्यकर्ता इसे राजनीतिक नुकसान और प्रशासनिक गैर–जिम्मेदारी दोनों मान रहे हैं। वे मांग कर रहे हैं कि इस त्रुटि को तत्काल सुधारा जाए और जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो।
क्षेत्र में अब बढ़ती मांग — तुरंत सुधार और जवाबदेही
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब छोटे–बड़े नेताओं तक की सूचनाओं में ऐसी गड़बड़ी हो सकती है, तो आम नागरिकों के नाम मतदाता सूची से गायब होने पर किससे जवाब मांगें?
मांग इस बात की भी है कि इस मामले में सिर्फ सुधार नहीं, बल्कि पूरी प्रक्रिया की पड़ताल की जाए कि आखिर ऐसा कैसे हुआ

