फडणवीस के एलान से पहले हर कोई कयास लगा रहा था कि वे ही मुख्यमंत्री पद ग्रहण करेंगे और उपमुख्यमंत्री पद एकनाथ शिंदे को सौंपेंगे। हालांकि भाजपा शिंदे को ही राज्य का सीएम पद सौंपना तय कर चुकी है।

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा में देने के बाद गुरुवार को राजनीतिक तस्वीर काफी साफ हो गई है। भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का एलान किया। फडणवीस के इस एलान से पहले हर कोई कयास लगा रहा था कि वे ही मुख्यमंत्री पद ग्रहण करेंगे और उपमुख्यमंत्री पद एकनाथ शिंदे को सौंपेंगे।  हालांकि भाजपा शिंदे को ही राज्य का सीएम पद सौंपना तय कर चुकी है। इस बीच हम आपको वह वजह भी बता रहे हैं, जिसके चलते भाजपा ने बागी विधायकों के गुट को समर्थन देते हुए एकनाथ शिंदे को शीर्ष पद सौंपने का फै किया।

क्यों भाजपा ने मुख्यमंत्री पद शिंदे को सौंपा ? 2019 के चुनाव के बाद जब भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद सरकार बनाने का दावा नहीं कर सकी तो पार्टी ने राकांपा से बगावत करने वाले अजीत पवार को डिप्टी सीएम बनाने का फैसला किया। हालांकि, भाजपा की यह तरकीब फेल हो गई थी। ऐसे में इस बार पहले से ही एकनाथ शिंदे के हाथ में पूरी लगाम दिखाई दी। भाजपा भी लंबे समय तक सत्ता से बाहर रही है, इसलिए पद पर उसका दावा कमजोर रहा है।

चूंकि एकनाथ शिंदे जानते थे कि सरकार बनाने की चाभी उनके पास थी। इसलिए भाजपा ने भी उनसे ज्यादा तोलमोल नहीं किया। इतना ही नहीं खुद भाजपा ऑपरेशन लोटस के जरिए इस सरकार को गिराने का कलंक अपने सिर नहीं लेना चाहती थी। फडणवीस का मत रहा है कि भाजपा अगर खुद चुनाव जीतकर आती तो ही वे सीएम बनते। ऐसे में शिंदे गुट का पलड़ा भारी रहने की वजह से उद्धव ने यह पद शिंदो को सौंप दिया।

फडणवीस की क्या भूमिका होगी? मुमकिन है कि देवेंद्र फडणवीस आगे गठबंधन में बिल्कुल वैसी ही भूमिका निभाएंगे, जैसी महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शरद पवार निभा रहे थे। यानी परदे के पीछे से वे ही सरकार के बड़े फैसले लेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का भी कहना है कि सरकार पलटने का श्रेय फडणवीस को दिया जाएगा। लेकिन बागी गुट के सत्ता की चाभी बनने की वजह से फडणवीस फिलहाल सीएम पद से दूर रहें।

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