बिलासपुर/सरकारी आवास नहीं मिला तो रेंजर और अधीक्षक ने वन विभाग कोनी के फॉरेस्ट रेस्ट हाउस (वन विश्राम गृह) में ही डेरा डाल लिया। अब वह पूरे साजो सामान और परिवार के साथ वहां रह रहे हैं। इसे लेकर विभाग के कर्मचारी दबे जुबान में  आपस मे चर्चाएं करने लगे हैं…

सरकारी आवास नहीं मिला तो रेंजर और अधीक्षक ने वन विभाग के कोनी फॉरेस्ट रेस्ट हाउस (वन विश्राम गृह) में ही डेरा डाल लिया। अब वह पूरे साजो सामान और परिवार के साथ वहां रह रहे हैं। इसे लेकर विभाग के कर्मचारियों मे नियम को लेकर कई तरह की चर्चाएं होने लगीं है। उनका कहना है रेस्ट हाउस को अफसर आवास के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता। जानकारी के अनुसार वन विभाग का यह अधिकारी पिछले लगभग 5,6 माह से रह रहे है।

जबकि विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों का कहना है कि कोई भी रेस्ट हाउस को आवास की तरह इस्तेमाल नहीं कर सकता।
इसमें 3से5 दिन तक रहने का प्रावधान हैं। इसमे कोई भी शासकीय रेस्टहाउस अफसरों के इमरजेंसी में ठहरने के लिए लाखों रुपये लगाकर मेंटेनेंस कराया जाता हैं।
इस संबंध में सी सी एफ राजेश चंदेल ने बताया कि वन विभाग के अधिकारियों को आवास देने का नियम है लेकिन आवास नही मिलने तक इनको भटकने के लिये तो नही दिया जा सकता है ,जानकारी यह भी इनको किराया भत्ता भी मिल रहा है,
देखा जाये तो
रेस्ट हाउस इमरजेंसी में अफसरों के ठहरने के लिए है। कोई इसको आवास की तरह इस्तेमाल नहीं कर सकता।इसके बावजूद जानकर विभागीय अधिकारियों के इस तरह का बयान वही रेंजर और अधीक्षक द्वारा यहां डेरा डाला जाना उचित है या अनुचित यह वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी और विभागीय मंत्री महोदय जाने।

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