
बिलासपुर- पूर्व मुख्य प्रशासिका आदरणीय राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि जी की 15वीं पुण्य स्मृति दिवस को संस्था में विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाया जाता है, दादी जी ने संस्था के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा के अव्यक्त होने के पश्चात देश- विदेश में परमात्मा ज्ञान का परचम लहराया जो आज पूरे विश्व में ब्रह्माकुमारीज की 140 देशों में शाखाएं फैली हुई है, एक छोटे से रूप को पूरा वटवृक्ष का स्वरूप दे दिया। दादी जी की दृढ़ता की शक्ति से ही यह कार्य संभव हो पाया।
दादी जी के मुख्य रूप से तीन शब्द जिसे वे सदा स्वयं भी उसके अनुरूप रही और सभी को याद दिलाती कि सदा निमित्त बन जो भी सेवा मिले किसी भी प्रकार की उसे दिल से पूरा करें, कर्म में निर्माणता और वाणी निर्मल शुद्ध पवित्र हो।
दादी जी सभी के प्रति प्रेम की प्रतिमूर्ति थी लेकिन कुछ स्वभाव, संस्कार,मर्यादा की बातों में दादी जी लॉ फूल भी थी अलौकिक पिता प्रजापिता ब्रह्मा उन्हें कुमारका नाम से संबोधित करते थे, क्योंकि दादी जी कुमारो की तरह सदा हर कार्य को निर्भीक रूप से करती व कराती थी।
*इस दिवस को संस्था में 5 जून से 25 अगस्त तक एक नई पहल के तहत पर्यावरण को सुरक्षित व प्रकृति के प्रति प्रेम इन 75 दिनों में लगभग 40 लाख वृक्षारोपण का कल्पतरुह* कार्यक्रम के तहत पूर्ण करने का संकल्प लिया गया जिसमें संस्था से जुड़े भाई -बहनों ने व अन्य संबंध संपर्क वालों ने भी बहुत ही उमंग उत्साह से इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने में अपनी भागीदारी निभाई।
ब्रह्माकुमारीज टिकरापारा संचालिका ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी व उनके साथ में कुछ भाई -बहनें भी इस अवसर पर आदरणीय दादी प्रकाशमणि जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करने माउंट आबू गए हुए हैं
अतः संस्था में आने वाले भाई बहनों ने दादी जी को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी व संकल्प लिया कि हम भी दादी जी की तरह दृढ़ता से हर वो कार्य करेंगे जो दादी जी करती थी यही हम सब की उनके प्रति सच्ची- सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अंत में दादी जी को भोग स्वीकार कराया गया व सभी को प्रसाद वितरण किया गया।
