विगत दिनों थाईलैंड के बैंकाक में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय हर्बल एक्स्पो दिनांक 28 जून से 3जुलाई तक आयोजित किया गया था

। इस आयोजन में भारत सरकार द्वारा ख्यातिप्राप्त पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण संवर्धन एवं विकास हेतु तत्पर निर्मल अवस्थी संचालक परंपरागत ज्ञान एवं वनौषधि विकास फाउंडेशन छत्तीसगढ़ का चयन किया गया था। भारत के पारंपरिक सामुदायिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता निर्मल कुमार अवस्थी ने 28 जून 2023 को अंतर्राष्ट्रीय एक्सपो, बैंकॉक में भाग लिया और 2 जुलाई 2023 को भारत-थाईलैंड के एक भाग के रूप में अभाभूभेज्र फाउंडेशन, प्राचीनबुरी का दौरा किया। जहां ट्रेडिशनल हीलर्स नॉलेज एक्सचेंज प्रोग्राम अभयभूभेजर फाउंडेशन, प्राचीनबुरी, थाईलैंड और यूनिवर्सिटी ऑफ ट्रांस डिसिप्लिनरी हेल्थ साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, बेंगलुरु, भारत द्वारा आयोजित किया गया। अवस्थी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ राज्य की जन जाति परंपरागत वनौषधि उपचार पद्धति का दस्तावेजीकरण एवं अध्ययन किया है,

छत्तीसगढ़ के अलावा अवस्थी ने 28 वर्षों  में भारत के विभिन्न प्रांतों में जाकर लगभग 5235 औषधीय पौधों के पारंपरिक ज्ञान का दस्तावेजीकरण किया उन्हें वर्ष 2014 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका ने सम्मानित किया था, छत्तीसगढ़ राज्य के गौरव है अवस्थी हजारों लोगों को वे असाध्य बीमार से पीड़ित व्यक्तियों को ख्याति व जानकर वैद्यों के माध्यम से आरोग्यता प्राप्त कराने में एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं उनके पास लगभग देश के सभी अच्छे अनुभवी पारंपरिक वैद्यों की सूची है।
अवस्थी से प्राप्त जानकारी अनुसार एशियान देशों में हर्बल उत्पादों के प्रति जागरूकता बढ़ी है और थाईलैंड,मलेशिया, म्यांमार एवं इंडोनेशिया तथा श्रीलंका में अपनी पारंपरिक ज्ञान आधारित चिकित्सा पद्धति को सार्वभौमिक रूप से स्थापित करने के लिए वैज्ञानिक प्रमाणिकता सिद्ध की है।निदेशक, अभइभूभेज्र
फाउंडेशन प्राचीनबुरी थाईलैंड  ने अवस्थी को थाईलैंड पारंपरिक चिकित्सा पद्धति और भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के संवाहक पारंपरिक वैद्यों के ज्ञान आधारित चिकित्सा पद्धति पर व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया। अवस्थी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई वर्षों से विभिन्न देशों में भ्रमण कर पारंपरिक ज्ञान आधारित चिकित्सा पद्धति का दस्तावेजीकरण एवं अध्ययन कर रहे हैं। अवस्थी ने बताया कि भारत एवं थाईलैंड में बहुत से औषधीय पौधे लगभग एक ही जैसे है किंतु उनका पारंपरिक ज्ञान अलग-अलग है। अवस्थी ने कहा कि हमारा देश भी नित नए अनुसंधान की ओर अग्रसर है किंतु उस रफ्तार को गति देने की जरूरत है अवस्थी ने अपील की है कि आज हमें भी अपने पारंपरिक ज्ञान व विभिन्न प्राचीन ग्रंथों आधारित चिकित्सा पद्धति को वैश्विक मान्यता हेतु वैज्ञानिक प्रमाणिकता सिद्ध करने हेतु पहल करनी चाहिए अन्यथा हम बहुत पीछे हो जाएंगे आज 17% की दर से वैश्विक हर्बल मार्केट बढ़ रहा है किन्तु वर्तमान में हमारे देश की भूमिका बहुत ही कम है। हमारे देश में आयुर्वेद का प्रचार प्रसार तो किया जा रहा है किन्तु वैज्ञानिक प्रमाणिकता सिद्ध करने में हमें और अधिक कोशिश करनी चाहिए आज इन देशों में 2 या 3 वर्षों में पारंपरिक उपचार पद्धति के विकास हेतु चिकित्सा पाठ्यक्रम संचालित किए गए हैं जिससे स्थानीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के संरक्षण संवर्धन एवं विकास के साथ साथ आम जनमानस को स्वस्थ रखने में मदद मिल रही है। इसका दूसरा लाभ वनस्पति जैवविविधता प्रबंधन संरक्षण एवं कृषिकरण में स्थानीय कृषकों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहें हैं। भारत में भी गुणवत्ता नियंत्रण नीति निर्धारण के साथ साथ भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के विकास हेतु ग्रामीण विकास की योजनाओं में शामिल करने की आवश्यकता है।

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