साजिश कर फर्जी एफआईआर पर हाईकोर्ट ने लगाई फटकार…! दोनों FIR की रद्द…!
हाई कोर्ट ने कहा…FIR बिना ठोस साक्ष्य और प्रक्रियागत खामियों के साथ दर्ज की गई पुलिस की निराधार FIR कानून का दुरुपयोग…!
बिलासपुर-{जनहित न्यूज़} छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक आदेश में उस युवक को बड़ी राहत दी जिसे पुलिस ने झूठे मामलों में फंसा दिया था। दयालबंद निवासी पीयूष गंगवानी के खिलाफ पुलिस ने दो अलग-अलग FIR दर्ज की थी, मगर अदालत ने दोनों को दुर्भावना से प्रेरित, निराधार और साजिशन की गई कार्रवाई बताते हुए निरस्त कर दिया।पीयूष पर पहला आरोप था कि वह महादेव सट्टा ऐप और फर्जी कंपनियों से जुड़ा है, जबकि दूसरा मामला इंस्टाग्राम पर फर्जी आईडी से धमकी और आपत्तिजनक फोटो भेजने का था। पुलिस ने महज आईपी एड्रेस और कथित दस्तावेजों के आधार पर उसे अपराधी बताने की कोशिश की।लेकिन पीयूष ने खुद अदालत में पैरवी करते हुए कहा…यह सब भू-माफिया नरेंद्र मोटवानी और शिकायतकर्ता अभय सिंह राठौर की मिलीभगत से रचा गया षड्यंत्र है। मोटवानी से पैतृक संपत्ति का विवाद था, इसी वजह से पुलिस अधिकारियों को साधकर मुझे झूठे मामलों में फंसा दिया गया।पीयूष ने यह भी बताया कि पुलिस ने फर्जी हस्ताक्षर और जाली दस्तावेज तैयार कर उसे साजिश का शिकार बनाया।शासन ने बचाव में कहा कि कार्रवाई कानूनसम्मत थी, जबकि मोटवानी ने खुद को निर्दोष बताते हुए नाम घसीटे जाने की शिकायत की।दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने साफ कहा…FIR बिना ठोस साक्ष्य और प्रक्रियागत खामियों के साथ दर्ज की गई है। ऐसी कार्रवाई को जारी रखना कानून का गलत इस्तेमाल होगा।नतीजतन, अदालत ने दोनों FIR रद्द कर दीं।संदेश साफ है…झूठे आरोप, फर्जीवाड़ा और साजिश के जरिए किसी को फंसाना अब आसान नहीं। न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि कानून का दुरुपयोग किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगा।
